मजहबी कट्टरता की शिकार हुई अभिनेत्री जायरा वसीम।
"सत्तर चूहे खा कर बिल्ली हज को चली".....
मानव स्वभाव है,चर्चाओं में रहना चाहे इसके लिए उसे कुछ भी हथकंडे अपनाने पड़े, चर्चाओं में रहने के लिए एक मुस्लिम अभिनेत्री के ऊपर कहावत लागू होती है,कि "सत्तर चूहे खा कर बिल्ली हज को चली" जी हां हम बात कर रहे हैं, फिल्म दंगल फेम गर्ल "जायरा वसीम" की एक मुस्लिम अभिनेता के साथ दंगल फिल्म से रातों-रात स्टार बन गई जायरा वसीम को आखिर अपने धर्म की याद आ ही गई, लगभग चार वर्ष पहले फिल्मों में काम करते समय एक मुस्लिम परिवार की कश्मीरी वाला को कभी भी शायद मुस्लिम धर्म के कायदे कानूनों का ज्ञान नहीं था ना ही उनके परिवार में इस्लाम के बारे में जानकारी थी, दो फिल्मों में अभिनय एवं तीन एड फिल्में करने करने के बाद प्रसिद्धि की ऊंचाइयों पर पहुंची जायरा वसीम को जब फिल्म निर्माताओं ने घास डालनी बंद कर दी तो उनका धर्म एक्टिंग करने से खतरे में पड़ने लगा और उन्होंने फिल्में छोड़ने की घोषणा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया पर कर डाली,
एक्ट्रेस जायरा वसीम ने पोस्ट डाल कर सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है, इस पोस्ट में 'दंगल' गर्ल जायरा वसीम ने बॉलीवुड इंडस्ट्री को छोड़ने की बात कही है,और इसकी वजह खुद के अल्लाह से दूर होने को बताया है, उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया में हंगामा छिड़ पड़ा है, जायरा वसीम के फैसले को लेकर कुछ लोग विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग एक्ट्रेस का समर्थन कर रहे हैं,आपको बता दें कि दंगल और सीक्रेट सुपरस्टार जैसी फिल्मों में काम कर चुकी जायरा ने हाल ही में द स्काई इज पिंक की शूटिंग पूरी की है। जायरा वसीम ने यह ऐलान ऐसे वक्त किया जब वह इस फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा बनने वाली थीं, लेकिन अब खबरों की मानें तो इस ऐलान के बाद इस फिल्म के प्रमोशन में भी भाग नहीं लेंगी,जायरा वसीम की इस घोषणा के फलस्वरूप वह भारतीय मीडिया में ही नहीं देश-विदेश की मीडिया में भी छा गई....और उन्होंने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया।
आइये आपको इस अभिनेत्री के बारे में कुछ जानकारी देते है, इस अभिनेत्री के पिता ज़ाहिद वासीम, श्रीनगर में एक बैंक प्रबंधक के रूप में काम करते हैं,कुछ इस्लामिक विद्ववानों का मत है,बैंक की नौकरी इस्लामिक रूप से नाजायज है, क्योंकि बैंक में ब्याज की इन्कम से तनख्वाह दी जाती है, लगता है जायरा के पिता श्री भी जल्द ही बैक को छोड़ने का ऐलान कर देंगे ? जायरा वसीम की शिक्षा सेंट पॉल की अंतर्राष्ट्रीय अकादमी, सोनवर, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर में हुई है जो कि एक ईसाई मिशनरी संस्था है, ईसाई मिशनरियों के द्वारा संचालित स्कूलों में मुसलमानों को शिक्षा नहीं लेनी चाहिए, ऐसी सोच भी कुछ मुस्लिम विद्ववानों की है, क्या अभिनेत्री ईसाई स्कूल के शिक्षा प्रपत्रों को अग्नि के हवाले करेंगी ? और अंत में क्या सोशल मीडिया पर रहना, अपनी फोटोज शेयर करना आदि-आदि क्या इस्लामिक है ?
जायरा को स्कूल टाइम से ही ऐक्टिंग करने का बहुत शौक़ था,तब इस्लाम और मजहब कहा था....
यदि हम कट्टरपंथियों की बात छोड़ दे तो पूरी दुनिया की मुस्लिम महिलाएं तरक्की पसंद एवं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है,एवं देश और दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं, आज सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश में महिलाएं अपनी आजादी की जंग जीतती दिखाई दे रही हैं, रूढ़ीवादी बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं, गोरखपुर की युवा वैज्ञानिक इफ़्फ़त अमीन ने अब तक का सबसे चमकीला पदार्थ बनाकर पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है,अब से 30 साल पूर्व केरल की एम.फ़ातिमा वीबी ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक सेवाएं देकर मुस्लिम महिलाओं के दम खम को बता दिया था, आज युवा मुस्लिम युवतियां देश की सर्वोच्च सेवाओं में कार्य कर रही है। ऐसे समय में जायरा वसीम जैसी महिला ने कट्टरपंथी सोच जताकर तुच्छ मानसिकता का परिचय दिया है, मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसी मानसिकता की घोर निंदा करता हूँ।
इस दौर-ए-तरक़्क़ी के अंदाज़ निराले हैं
ज़ेहनों में अँधेरे हैं सड़कों पे उजाले हैं