पुस्तक समीक्षा
"वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप"
लेखक -डॉ अशोक कुमार गदिया
◆वाइस चांसलर- मेवाड़ यूनिवर्सिटी चित्तौड़ (राजस्थान)
◆चैयरपर्सन मेवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट,वसुंधरा गाजियाबाद।
"वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप" नामक पुस्तक हल्दीघाटी में अपने पराक्रम का लोहा मनवाने वाले राजस्थान की शान बान महाराणा प्रताप के शौर्य व पराक्रम का नई पीढ़ी के लिए परिचय के साथ प्रेरणा और भारतवर्ष के इतिहास से भी रूबरू कराती है। 32 पृष्ठ की छोटी सी पुस्तिका में लेखक डॉ अशोक कुमार गदिया ने गागर में सागर भरने जैसा प्रयास किया है, पुस्तक में महाराणा प्रताप के बाल्यकाल से हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पराक्रम का सुंदर वर्णन किया गया है, मुगल बादशाह अकबर के बढ़ते प्रभाव से जब खानवा, चित्तौड़ युद्ध के बाद सभी छोटे-मोटे ठिकानेदार,जागीरदार,राजे महाराजे अकबर की अधीनता स्वीकार कर रहे थे,ऐसे में वीर पराक्रमी महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार करने से ना केवल इंकार कर दिया,बल्कि जीवित रहते हुए चित्तौड़ की स्वाधीनता पर भी आंच नहीं आने दी। पुस्तक में महाराणा के बहादुर घोड़े चेतक के भी पराक्रम,फुर्ती व स्वामीभक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है, कुल मिलाकर पुस्तक महाराणा प्रताप के स्वाभिमान मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास,क्षत्रिय परंपरा एवं शौर्य को दर्शाती हुई एक सुंदर रचना है, पुस्तक के लेखक डॉ अशोक कुमार गदिया ने इतिहास के पन्नों पर एक अच्छा एवं काबिले तारीफ कार्य किया है।
पुस्तक का आवरण चित्तौड़गढ़ के किले पर महाराणा प्रताप का पराक्रमी रूप दर्शाया गया है, जो कि पुस्तक को चार चांद लगा रहा है।
मूल्य-30 रुपये मात्र
प्रकाशक- मेवाड़ यूनिवर्सिटी प्रेस प्रा० लिमिटेड।