बदनाम खबरची
समाज में समाप्त होता कोरोना का "रोना' ?
कोविड-19 का बढ़ता आतंक,पटरी पर लौटता जनजीवन।
देश में लॉक डाउन समाप्त हो चुका है। अनलॉक प्रथम के आगाज़ के साथ सरकार ने काफी बंदिशे हटा ली है। जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है, वही भीड़-भाड़ ,होर्न का शोर-शराबा और मारा-मारी। सरकार ने अपने कर्तव्य को बाखूबी अंजाम देते हुए जनता को करोना महामारी से भलीभांति अवगत करा दिया है। स्पष्ट बता दिया गया है कि कोरोना इतनी आसानी से जाने वाला नहीं इसके साथ जीने की आदत डालनी ही होगी। 70 दिन के लॉक डाउन ने कामगारों/दिहाड़ी मजदूरों की कमर तोड़ के रख दी है, बेरोजगारी सुरसा की तरह मुँह उठाए खड़ी है, अधिकतर कामगार/ दिहाड़ी मजदूर अपने गांवों की ओर पलायन कर चुके हैं, एक और बेरोजगारी की समस्या तो दूसरी ओर महानगरों औद्योगिक नगरों का कामकाज ठप्प। कोरोना अपने कहर के लिए सदैव याद किया जाएगा पैदल जाते अनेकों अप्रवासी एक्सीडेंट, भुखमरी के शिकार हो कर अपनी जान गवा बैठे। कोरोना ने देश के सीने पर कुछ ऐसे ज़ख्म भी छोड़े है,जिससे आत्मा भी कांप गई,पिछले दिनों रेलवे स्टेशन पर मृत पड़ी एक माँ के आँचल को खिंचते ढाई वर्षीय मासूम की वीडियो ने हमारे सिस्टम और मानवता की पोल खोल कर रख दी। उस वीडियो को देखने के बाद पूरी रात नहीं सो पाया, जीवन को देखने का नजरिया ही बदल गया हैं, लेकिन इतनी भयावक घटना पर देश मे कहीं कोई चर्चा नहीं, बहस नहीं, कोई बयान नहीं, स्टेशन मास्टर तक के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं, आखिर एक गरीब, बदनसीब और लाचार की लाश जो ठहरी। कोरोना के बाद जागरूकता के अभाव में विषम परिस्थितियों का सामना देश को करना ही पड़ेगा। शहरों के खुलते ही सड़को पर जनसैलाब उमड़ पड़ा है। भीड़ के हालात और समझ देखते हुए नहीं लगता है कि हमारे यहां वही कोविंड 19 उर्फ कोरोना महामारी है, जिसने अमेरिका जैसे प्रभुत्व शक्तिशाली आर्थिक रूप से संम्पन्न देश की नीव हिला दी। यहां पर कोरोना की चपेट में आकर लगभग एक लाख, छह हजार लोग दम तोड़ चुके हैं। इसके अलावा ब्राजील में 30,046 लोग काल के गाल में समा गये, जबकि इटली में मरने वालों की संख्या 33475, इंग्लैंड में 29675 के साथ अनेकों मुल्कों में महामारी का भयानक चेहरा सामने आया है। दुनियाभर में अब तक करीब 55 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 3 लाख 74 हजार 434 लोगों की मौत हो चुकी है, लेकिन अफसोस भारत में अनलॉक प्रथम आरंभ होते ही लोग कोरोना की भयावकता को भूल कर बिना नियमों का पालन किये घरों से निकल पड़े हैं। अधिकतर लोगों ने न मास्क लगाया हुआ है, न फिजिकल डिस्टेंस, लगता है, डर नाम की चिड़िया का यहां के लोगों को पता नहीं, अधिकांश लोगों को कोविंड-19 नाम की किसी महामारी का डर ही नहीं है। सरकार के ऊपर एक ओर आर्थिक मंदी के चलते लॉक डाउन खोलने का दवाब दूसरी ओर प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती गिनती। आखिर क्या होगा देश का,चिंता की लकीरें स्वाभाविक है? हालांकि हमारे देश में समाजिक कानूनों को ठेंगा दिखाने की पुरानी परंपरा है...रहीसजादे अपने पैसे के बल पर, बाहुबली अपने बाहुबल पर गरीब आदमी अज्ञानता के कारण कानून और नियमों का पालन नहीं करते। यहां कानून भी उसी पर लागू होता हैं, जो कानून की पकड़ में आ जाये। अब यहीं हाल कोविंड 19 के लिए निर्धारित नियमों और कानून का होने वाला है ? समय आ गया है, कि कोविंड -19 यानी कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए सरकार/गैर सरकारी संगठन,एन जी ओ जनजागरण अभियान चलाए, ताकि देश/जनता अर्थव्यवस्था आदि सभी पटरी पर लौट आए और कोरोना महामारी को मात भी दे दी जाये, अन्यथा हमारी लापरवाही/छोटी सी चूक भी हमें मौत के आगोश में ले जाने के लिए तैयार खड़ी मिलेगी। इस लिए समान्य जन से अपील है, कि सरकार के कानूनों को तो धता बता सकते हो अथवा जुर्माना, जेल से काम चल जाएगा, लेकिन कोरोना की सजा "सजा-ए-मौत" तक हो सकती हैं।
ReplyForward |